Friday, January 22, 2010

मेरी जान कलम...

धोखों से भरी इस दुनिया में ये कलम ही साथ निभाती है।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है, चलती जाती है।।
मैं चला तो ये भी साथ चली, मैं गिरा तो थाम लिया इसने,
मैं हंसा तो ये खिलखिला उठी, रोऊं तो अश्क बहाती है।।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है, चलती जाती है...........
इस कलम से शोहरत मिली मुझे, लिख लिया तो राहत मिली मुझे।
कमजोर बहुत था इसके बिना, ये मिली तो ताकत मिली मुझे।।
है दिल भी यही, धड़कन भी यही, ये ही तो जीवनसाथी है।।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है, चलती जाती है...........
बंजर को सावन देती है, चिड़ियों को उपवन देती है।
अपने बदन के लहू से ये, शब्दों को जीवन देती है।।
छोटे या बड़े का भेद नहीं, ये सबको गले लगाती है।।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है चलती जाती है...........
चाहत की तहरीर लिखी, इसने हर दिल की पीर लिखी।
दुनिया को बनाने वाले ने, इससे सबकी तकदीर लिखी।।
मां की गोद का सुकूं है ये, या जैसे कि सोंधी माटी है।।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है, चलती जाती है...........
ये ना होती, क्या होता मैं, सूखी आंखों से रोता मैं।
ये है तो मुझे बेताबी है, ना होती तो चैन से सोता मैं।।
इससे कुछ ऐसा इश्क हुआ, कोई और चीज ना भाती है।।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है, चलती जाती है...........
मेरा तो घर-परिवार है ये, मेरा सारा संसार है ये।
ना मानो अगर तो कुछ भी नहीं, मानो तो बड़ी फनकार है ये।।
ये बच्चे की मुस्कान सी है, खुश्बू मे नहायी पाती है।।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है, चलती जाती है...........
ये ना मिलती तो किधर जाता, बोलो बनता कि बिगड़ जाता।
वादा था इसी का होऊंगा, वादे से कैसे मुकर जाता।।
मेरी जान है ये, इससे मेरी, हस्ती पहचानी जाती है।।
मैं चाहूं अगर कुछ लिखना तो, चल देती है, चलती जाती है...........

5 comments:

  1. bahut khub janab...
    aise hi likhte rahiye.

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  2. Badi damdaar rachna hai!

    Gantanr diwas kee anek shubh kamnayen!

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  3. excellent bhaijaan....kya poem hai....

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  4. achhi hai............
    par aapko nahi lagta thodi lambi hai

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  5. बेहतरीन बाबू☺������

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