" मेरे होठों से निकल के हवा में एक आह उड़ी
फिर भी खुश हूँ मैं लोगो में ये अफवाह उड़ी है॥"
अफवाहें भले ही सच न होती हों मगर ये सच है कि ये अपने पीछे तमाम वांछित-अवांछित परिणाम ले कर आती हैं। अफवाहों का अपना समाज व स्तर होता है। कुछ अफवाहों के परिणाम हास्यास्पद तो कुछ के गंभीर व भयावह भी होते हैं। कभी-कभी अफवाहों के कारण बड़ी ही अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो जाती है। कुछ लोग तो अफवाह फैला कर बड़ी ही सुखद अनुभूति करते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो एक बार किसी अफवाह का शिकार हो जाने के बाद दूसरी किसी सच्चाई पर आसानी से विश्वास नहीं कर पाते। उन्हें हर एक बात में अफवाह का अंदेशा होता है। खैर कुछ अफवाहें हमें सचेत व प्रेरित भी करती हैं।
कुछ दिन पहले मैं एक विचित्र घटनाक्रम का गवाह बना। उस दिन मैं किसी काम से पड़ोस के एक नर्सरी स्कूल गया था. मैं प्रधानाचार्य के दफ्तर की तरफ जा ही रहा था कि अचानक इमरजेंसी वार्निंग बेल बजने लगी. पलक झपकते ही सभी अध्यापक और विद्यार्थी स्कूल के मैदान में इक्ट्ठे हो गए. आखिर बात क्या है? यह जानने के लिए मैं भी वहां पहुंचा और सबसे पीछे खड़ा हो गया. स्कूल के प्रधानाचार्य ने अपने संक्षिप्त भाषण में ये सूचना दी कि हमारे देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री का निधन हो गया है. उनकी आत्मा कि शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया और फिर स्कूल की छुट्टी कर दी गयी.इस शोक सभा में मैं भी शरीक हुआ. मौन के दौरान मेरे मन में एक क्लेश उत्पन्न हो रहा था कि मैं उन पूर्व प्रधानमंत्री से मिलने की अपनी हार्दिक इच्छा पूरी नहीं कर सका. शोक सभा समाप्त के बाद भारी मन से मैं घर वापस आया और पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बारे में पूरी तरह से जानने के लिए टीवी आन करके समाचार देखने लगा. टीवी देखते-देखते ही मैं उस समय अचानक भौचक्का रह गया जब मैंने उन पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के विपरीत उनके स्वस्थ्य में सुधार का समाचार देखा. सहसा मुझे विश्वास नहीं हुआ. मगर थोडी देर में यह साफ़ हो गया कि वह पूर्व प्रधानमंत्री अभी जीवित हैं और उनके स्वस्थ्य में तेजी से सुधार भी हो रहा है. मुझे थोड़ी सी हंसी आई. मुझे हंसी का कारण स्पष्टतः पता नहीं चला. शायद यह हंसी उस लचर सूचना तंत्र पर रही होगी जिसके कारण एक अजीब सी घटना घटी या फिर यह हंसी इस ख़ुशी के कारण थी कि उन पूर्व प्रधानमंत्री से मिलने कि हार्दिक इच्छा को पूरा करने मौका अभी भी मेरे पास मौजूद था.
कुछ भी हो मगर इस अफवाह ने मुझे ठंडे बस्ते में जा चुकी अपनी ख्वाहिश को जल्द से जल्द हकीकत का रूप देने के लिए प्रेरित जरूर किया. और अब मैं जल्दी ही उनसे मिल लेने के लिए आतुर हूँ.
Saturday, March 14, 2009
बोलो, कैसा एम पी चाहिए ?
आज सुबह जब मैंने अपना मोबाइल फोन उठाया तो चौंक पड़ा। उसमें एक मैसेज था - "बोलो, कैसा एम. पी. चाहिए? अपने मोबाइल फोन के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करें MP और अपने एम पी की वांछित खूबियों व अपनी लोकसभा के नाम के साथ भेज दें 9211420 पर. सब्सक्रिप्शन के सिर्फ 24 घंटों के अन्दर हम आपको देंगे आपके मन पसंद उम्मीदवार का नाम, शर्तें लागू." मैसेज पढ़ कर मैं गदगद हो गया और अपने एम पी की वांछित खूबियों की लिस्ट बनाने में जुट गया. मसलन - ज्यादा लम्बी क्राइम लिस्ट न हो, घोटालों में इंटरेस्ट कम से कम रखता हो, अंगूठा टेक न हो वगैरह- वगैरह. मैं न सिर्फ जल्द से जल्द इस रिवोल्युशनरी स्कीम को सबस्क्राइब करना चाहता था बल्कि इसका हिस्सेदार बन के ज्यादा से ज्यादा फायदा भी उठाना चाहता था. कहने का आशय ये कि मैं इस स्कीम के जरिये सर्वाधिक सुयोग्य एम पी चुनना चाहता था. यह एक अदद स्कीम थी जो मुझे मेरी पसंद का एम पी चुनने में मदद कर रही थी. वर्ना आज के दौर में मनपसंद चीज मिलती ही कहाँ है? यह स्कीम लाजवाब तो थी ही साथ ही देशहित में भी थी क्योंकि यह उपभोगताओं को उम्मीदवार सुझाने के दौरान पार्टियों की सीमाओं में नहीं बंधती थी. यह स्कीम सिर्फ वांछित खूबीधारी उम्मीदवार का नाम ही सुझाती थी, उसकी पार्टी और उसके एजेंडे से इसका कोई सारोकार नहीं था. मोबाइल कम्पनियों द्वारा चलाई जाने वाली तमाम स्कीमों जैसे -' जानिए अपना आज का भविष्यफल, जीतें फोर्ड फिएस्टा सिर्फ एक आसान सवाल का जवाब दे कर' आदि में सर खपाने और खाली हाथ रहने बाद मुझे इस स्कीम की वास्तविकता में शक होना लाजमी था. मगर यह अपनी तरह की सबसे अलग और इकलौती स्कीम थी अतः मैनें काफी सोंच-विचार करके अपने एम पी की वांछित खूबियों वाला मैसेज भेज ही दिया. इस मैसेज को भेजने के बाद मेरे मोबाइल के टाक टाइम का एक बड़ा हिस्सा उड़ गया जो कि ऐसी स्कीमों के प्रति मेरे शक और गुस्से को और ज्यादा करने के लिए पर्याप्त था. मगर फिर भी मैं सकारात्मक सोंच के साथ उम्मीदवार के नाम का इन्तजार करने लगा. सब्सक्रिप्शन के कुछ घंटे बाद मोबाइल में एक मैसेज आया- "उम्मीदवार की जो वाछित खूबियाँ आपने भेजी हैं वो किसी भी उपलब्ध उम्मीदवार से मैच नहीं करती. अतः खूबियों को परिवर्तित करके पुनः भेजें अथवा उम्मीदवारों के अगले स्टॉक तक इन्तजार करें, धन्यवाद ! " मैसेज पढ़ कर मैं गहन चिंतन और उधेड़बुन में डूब गया. मैं सोचने लगा कि क्या कोई ऐसा उम्मीदवार सच में नहीं है? उद्देश्य की पूर्ती न होने के कारण मैं इस स्कीम के प्रति अविश्वास पाल सकता था मगर सच्चाई से अवगत हो जाने बाद मेरे मन में इस स्कीम के लिए आस्था मजबूत हो गई. मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि मेरी वांछित खूबियों वाला उम्मीदवार जल्द से जल्द उपलब्ध हो जाए और उसके नाम का मैसेज मेरे मोबाइल पर आ जाए.
Subscribe to:
Posts (Atom)