Sunday, March 15, 2009

शरीफ, शराफत और .......

शराफत :सर की आफत
अब शराफत का ज़माना नहीं रहा साहब. शराफत पिछले कई सालों से आफत की चपेट में है. शरीफों को हरदम ही शराफत की कीमत चुकानी पडी है. पहले मुशर्रफ ने औंधे मुंह गिराया और अब ज़रदारी छाती में मूंग दल रहे हैं. इतना ही नहीं शरीफों के चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. भला बताइए साहब, चुनाव लड़ने वालों में शरीफ लोग ही नहीं रहेंगे तो भविष्य की नई सरकार से शराफत की उम्मीद कौन और क्यों करेगा? खैर मानो न मानो मगर शरीफ बन्धु ही शराफत के ब्रांड एम्बेसडर हैं. थोडा और गहराई से सोंचा जाए तो उन्हें शराफत का ब्रांड एंबेसडर कम ट्रेड मार्क कहना भी गलत नहीं होगा.
मगर उनकी मौजूदा हालत देखकर न्यूकमर्स इस फील्ड में आने से घबरा रहे हैं. उनका मानना है कि इस धंधे में अब पहले वाला प्राफिट नहीं रहा. वैश्विक मंदी का असर शरीफों पर भी पडा है. अब शेयर होल्डर्स शराफत में पूजी लगाने से कतरा रहे हैं. और तो और शरीफों की कम्पनी पर दिवालिया होने का संकट भी आ पड़ा है. हस्तरेखा विशेषज्ञओं की मानें तो इस समय शराफत के सितारे गर्दिश में हैं या यूं कहें कि शराफत के दिन अब लद गए हैं.
शरीफों ने शराफत का पुनरूत्थान करने और सारे शरीफों को एकजुट करने के लिए लॉन्ग मार्च का आयोजन भी किया मगर सरकार ने खिसियाकर उन्हें नजरबन्द कर दिया. यह पहली दफा नहीं है जब शरीफों को नजरबंद किया गया है. शरीफ, हमेशा से ही नॉनशरीफों के आँख की किरकिरी रहे हैं. पहले नजरबंदी होती है फिर देश निकाला, फिर नॉनशरीफ लोग शरीफों की प्रापर्टी और बैंक बलेंस मिनटों में चट कर जाते हैं. शरीफों को अक्सर नुकसान ही उठाना पड़ता है. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब शरीफ ने ज़रदारी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था. भुट्टो की ह्त्या के बाद ज़रदारी ने भी शराफत का चोला पहन लिया था. मगर परमानेंट और टेम्परेरी शरीफ में कुछ न कुछ अंतर तो रहेगा ही. शरीफों की क्वांटिटी और क्वालिटी गिरने के का एक प्रमुख कारण यह है कि शरीफों के डेवेलपमेंट में लगे लोग गैरशरीफ और अनट्रेंड थे. अब अगर खेती में तकनीक का बेतरतीब इस्तेमाल होगा तो फ़ूडप्वायजनिंग तो लाजमी है. उधर कुछ जैवविज्ञानियों ने शरीफों की नजरबंदी को बेहद सराहनीय कदम बताया है. उनका कहना है की शरीफ एक विलुप्तप्राय प्रजाति है अतः उसे संरक्षित और सुरक्षित करने में कोई बुराई नहीं है.
आने वाले समय में शरीफों का क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है मगर कुछ समझदार लोगों ने शरीफों की वर्तमान हालत देखकर शराफत से कोई भी रिलेशन न रखने का फैसला किया है. बात भी सही है भाई, जब सेनापति का ये हश्र है तो बाकी शागिर्दों का क्या होगा? मैं तो कहता हूँ की शराफत छोड़ देने में ही भलाई है और इसीलिए इनदिनों एक गाना मेरा फेवरेट हो गया है - - - - - -

शरीफों की देख कर हालत, शराफत छोड़ दी हमने !!!!!!!

1 comment:

  1. Hahaha....love you mera betu...☺������

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